अध्यात्म एक आनंद
विज्ञान हमें भौतिक सुख तो दे सकता है लेकिन आंतरिक और मानसिक सुख के लिए किसी तकनीकी का अभी तक इजाद नहीं कर पाया है आज भी आंतरिक आनंद का एक ही माध्यम है “अध्यात्म “
अध्यात्म को अगर सही रूप से देखा जाए तो यह संपूर्ण और संतुलित जीवन जीने का एक सार्वभौमिक तरीका है आज के युग में जबकि हमने बहुत वैज्ञानिक और भौतिक उन्नति कर लीजिए हमारे सामने व्यक्तिगत और सामाजिक तौर पर यह चुनौती है कि हम अध्यात्म के क्षेत्र में भी उसी तरह अद्भुत रूप से तरक्की करें हमने से हर एक को इस धरा पर एक सीमित जीवन मिला है इसमें हमारे पास एक सुनहरा अवसर है कि हम अपने जीवन की उद्देश्य की खोज करें और इसके अर्थ को समझने की कोशिश करें मनुष्य की प्रवृत्ति ही है कि वह चीजों को जानना और समझना चाहता है वैज्ञानिक इस कार्य में लगे हैं लेकिन साधनों का प्रयोग भी करते हैं वे भौतिक और बौद्धिक रूप से सीमित हैं सदियों से सभी संत महापुरुष जीवन और मृत्युकी रहस्य की खोज करते रहे हैं और वह सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हम इस रहस्य को आध्यात्मिक स्तर पर ही जान सकते हैं आध्यात्मिक यात्रा पुरानी मंडलों का अनुभव करना है जो कि बुद्धि और मन से परे हैं और यह सब हमें रहस्यमई लगता है यही कारण है कि विज्ञान अध्यात्म को रहस्यवाद भी कहता है अध्यात्म एक ऐसा विज्ञान है जो हमारे जीवन में प्रेम शांति खुशी और विवेक की शक्ति प्रदान करता है यह जीवन को जीने का एक व्यावहारिक तरीका है जो कि हमारे आंतरिक जीवन को समृद्ध बनाने के साथ–साथ आपसी संबंधों को भी बेहतर बनाता है अध्यात्म का मूल सिद्धांत यह है कि हमने से प्रत्येक वास्तव में एक आत्मा है जो कि थोड़े समय के लिए इस भौतिक शरीर में आई है यह समय 20 50 60 80 और 100 वर्ष का हो सकता है
लेकिन मैं तो के बाद हर एक को इस दुनिया से जाना होता है इस संसार में आने से पहले हमारी आत्माओं कहां थी ?और और यह से जाने के बाद कहा जाएगी ? इस संसार में हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? मनुष्य के जीवन को समझने के लिए यह कुछ मूल प्रश्न है संत और सूची ऐसे जागृत महापुरुष हैं जिन्होंने इस विषय की खोज की और इन प्रश्नों को हल किया वे बताते हैं कि हमारे जीवन का उद्देश्य अपनी आत्मा का मिला परमात्मा से करना है और इस उद्देश्य को पाने के लिए हमें एक तरीका बताते हैं प्रभु से मिला के लिए सदियों से अनेक विधायक सिखाई जाती रहे हैं लेकिन आज के युग में हमें एक ऐसा तरीका चाहिए जो आधुनिक जीवन की जरूरतों के अनुरूप आत्मा की यात्रा की शुरुआत प्रभु की ज्योति और अन्य शब्द से संपर्क करने पर आरंभ होती है ज्योतिष की धारा से उत्पन्न होती है और वापस प्रभु की ओर जाती है हम इस धारा को तीसरी आंख अथवा शिव नेत्र पर पकड़ सकते हैं यह शरीर में स्थित आत्मा और ज्योति बसु की धारा का संपर्क बिंदु है यदि हम अपने ध्यान को इस बिंदु पर एकाग्र करें तो हम मंडलों में उड़ान भर सकते हैं यह धारा अंततः हमें हमारे रूट प्रभुत्व वापस ले जाती है ध्यान का यह तरीका एकदम सहज और सरल है
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