सूर्य ग्रहण -चंद्र ग्रहण किसे कहते हैं

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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हिंदी दुनिया में आज के इस आर्टिकल में हम आप को सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण के बारे में बताएंगे 

ग्रहण क्या होता है:

 अगर विज्ञान की माने तो ग्रहण एक खगोलीय घटना है  जिसमें कोई खगोलीय पिंड ( ग्रह ,उपग्रह) किसी प्रकाश के स्रोत जैसे कि सूर्य और दूसरे खगोलीय पिंड पृथ्वी के बीच  जाता है जिससे प्रकाश कुछ समय के लिए अवरोधित हो जाता है इस घटना को ग्रहण माना जाता है जबकि अगर हम ज्योतिष शास्त्र की बात करें तो उसके अनुसार ग्रहण भगवान पर एक संकट होता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण को देखना अशुभ माना जाता है जबकि वैज्ञानिक विचारधारा से जुड़े लोग ग्रहण को सोलर ग्लासेस या पर्सनल सोलर फिल्टर का उपयोग करके देखते हैं

सूर्य ग्रहण ,चंद्र ग्रहण

 

सूर्य ग्रहण क्या होता है :

पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथसाथ अपने सौरमंडल में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है दूसरी ओर चंद्रमा जो कि पृथ्वी का उपग्रह होता है वह भी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है इसलिए जब चंद्रमा चक्कर काटते काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच पहुंच जाता है तब पृथ्वी सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से दिखना बंद हो जाता है इसी घटना को सूर्यग्रहण नाम दिया जाता है या सूर्य ग्रहण नाम से जाना जाता है

चंद्रग्रहण क्या होता है :

जब पृथ्वी अपने मार्ग में सूर्य की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा और सूर्य के मध्य में जाती है तो इससे सूर्य से निकलने वाली प्रकाश किरणें चंद्रमा पर सीधी ना पढ़कर बीच में पृथ्वी से टकरा जाती है जिससे चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है जिसके कारण चंद्रमा पूरा नहीं दिखाई देता है इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं

ग्रह क्या होते हैं :

ऐसे खगोलीय पिंड जो सूर्य या किसी अन्य तारे की चारों ओर परिक्रमा करते हैं, ग्रह कहलाते हैं खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह माने जाते हैं जोकि बुध, शुक्र, पृथ्वी ,मंगल, बृहस्पति ,शनि ,यूरेनस और नेपच्यून यानी अरुण और वरुण हैं जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह की परिभाषा अलग दी गई है

उपग्रह किसे कहते हैं:

वह आकाशीय पिंड जो अपने निश्चित कक्षा में निश्चित गति से घूमते हुए ग्रहों की परिक्रमा करते हैं, उपग्रह कहलाते हैं जैसे चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है.