शिवाजी महाराज जयंती 2021
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हिंदी दुनिया के एक नए ब्लॉग में आज के ब्लॉग में हम शिवाजी महाराज के जीवन परिचय , शिवाजी की जन्म -मृत्यु, शिवाजी की जीवन वृतांत के बारे में जानेंगे
छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय:
शिवाजी का जन्म सन 19 फरवरी 1630 में महाराष्ट्र के शिवनेरी जिले में हुआ था इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले था तथा माता का नाम जीजाबाई था जिस समय शिवाजी का जन्म हुआ था उस समय शाहजी भोंसले लड़ाई के मैदान में डटे हुए थे सबसे विचित्र बात यह थी कि एक सेना की तरफ से शाहजी यानी शिवाजी के पिता लड़ रहे थे तो मुकाबले में दूसरी तरफ से उनके ससुर यादवराव लड़ रहे थे जिसका फल यह हुआ कि थोड़े ही समय में शिवाजी के पिता और माता में तनाव बढ़ गया फल स्वरूप 1630 इसी में शाह जी ने दूसरी शादी कर ली जीजाबाई मुसलमानों के कब्जे में फस गई वह अपने पिता के एक संबंधी के साथ ही रहती थी शिवाजी पर कोई आपत्ति ना आ सके इसलिए उन्होंने शिवाजी को मुसलमानों से छुपा कर रखा
छत्रपति शिवाजी महाराज :
शिवाजी ने कई विवाह किए इनकी पत्नियां साईंबाई निंबालकर ,सोयराबाई मोहिते, पुतलाबाई पालघर शकूर भाई गायकवाड और काशीबाई जाधव थी एवं शिवाजी के बच्चों के नाम सुखबाई निंबालकर ,रनुबाई जाधव अंबिकाबाई , संभाजी भोसले, राजाराम भोसले और राजकुमार भाई सिरके थे
6 वर्ष का बालक मुसलमानों आक्रमणकारियों से हाथ से बचता और भागता फिरता है जब उसी अवस्था में आजकल के बच्चे गलियों और बाजारों में खेलते रहते हैं माताएं इस बात की चिंता नहीं करती कि उनका बालक कहा खेल रहा है इस अवस्था में शिवाजी की माता ने अपने बच्चे को छुपाया और उन्हें मुसलमान आक्रमणकारियों के हाथों से बचाया सन 1636 ईसवी तक शिवाजी को अपने पिता का दर्शन प्राप्त नहीं हुआ था बाद में धीरे धीरे शिवाजी के पिता और माता में प्रेम हो गया और शाहजी भोंसले ने शिवाजी की शादी कर दी और सिर्फ कुछ ही दिन बाद वह कर्नाटक की लड़ाई के लिए रवाना हुई शिवाजी माता के साथ पुणे में विश्राम लेते थे स्वतंत्रता और राज पाठ की प्रबल अभिलाषा ने शिवाजी को धन जमा करने की विधि व नवीन युद्धों के लिए नई-नई सामग्रियां तैयार करने लगी एक और तो सेना इकट्ठे करके तथा दूसरी और उसको सजाना प्रारंभ किया तथा अपने दूतों समस्त इलाकों में भ्रमण करने के लिए भेज देते ताकि वे हिंदू प्रजा में मुसलमानों के प्रति घृणा का भाव उत्पन्न कर सकें
शिवाजी महाराज का अभ्युदय:
दक्षिण पहुंचकर शिवाजी ने फिर उन प्रांतों को लौटआने का प्रयत्न किया जो उन्होंने मेल मिलाप के समय राजा जयसिंह को दे दिए थे बहुत से किले तो सुगमता से हाथ आ गए जबकि कई के लिए युद्ध भी करना पड़ा परंतु थोड़े ही समय में सातारा, पनाला और रायगढ़ जैसे किले वापस आ गए वह संपूर्ण संपत्ति जो उन्होंने राजा जयसिंह को दी थी वह शिवाजी की अधीनता में आ गई यहां तक कि शिवाजी ने एक बार फिर सूरत पर धावा किया और लूटमार करके बहुत सा धन प्राप्त किया जब यह खबर औरंगजेब को मिली तो वह बहुत क्रोधित हुआ दिलेरखान और सुधा को एक बहुत बड़ा सेना देकर शिवाजी को दंड देने के लिए भेजा.
शिवाजी महाराज का स्वर्गवास :
शिवाजी की मृत्यु 15 अप्रैल सन 1680 ईसवी में हुई यह सच है कि मृत्यु सबसे अधिक बलवान है वह मनुष्य जो लगभग 40 वर्षों तक भारतवर्ष की स्वतंत्रता के लिए वीरता पूर्वक लड़ा जिसमें लाखों मनुष्यों का मुकाबला किया जिसने अपने साहस के सामने पर्वत ,नाली, नदी समुद्र व घाटी शेर, हाथी आदि को कुछ ना समझा वह आज क्षण भर में मृत्यु की काल के गाल में समा गया बीमारी ने उन्हें साथ ही ऐसा कमजोर बना दिया कि उनकी आत्मा को शरीर त्याग में पड़ा जिस शरीर से उन्होंने इसे बड़े बड़े काम किए जिस में भारत का इतिहास रचा है कि वह शिवाजी अपने शरीर को छोड़कर इस संसार से चल दिए शिवाजी मर गए और मरना ही सच है परंतु इसमें संदेह नहीं है कि शिवाजी जैसी महान आत्माएं बहुत कम संसार में जन्म लेती हैं ऐसा लड़का जिसने जातीय स्वतंत्रता के लिए युद्ध में हजारों घर के चिराग कुर्बान कर दिए .
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