लोकसभा तथा राज्यसभा में अंतर
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के एक नये आर्टिकल में आज के ब्लॉग में आप जानेंगे लोकसभा और राज्यसभा क्या अंतर है(Difference between Lok sabha and rajya sabha) ,लोकसभा और राज्यसभा की संरचना ,लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या तथा लोकसभा राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल एवं योग्यताएं।
लोकसभा:
लोकसभा संसद का प्रथम या निम्न सदन है जिसका सभापतित्व करने के लिए करने के लिए एक अध्यक्ष होता है लोकसभा अपनी पहली बैठक के पश्चात यथाशीघ्र अपनी दो सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में चुनती हैं।
लोकसभा के सदस्यों की संख्या :
मूल संविधान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या 500 निश्चित की गई है लेकिन वर्तमान में इसके सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 कर दी गई है यानी लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 हो सकती है इनमें से अधिकतम 530 सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से व अधिकतम 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों में से निर्वाचित किए जा सकते हैं एवं राष्ट्रपति भारतीय वर्ग के अधिकतम 2 सदस्यों का मनोनयन कर सकता है वर्तमान में लोकसभा की सदस्य संख्या 545 है।
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है 61 वें संविधान संशोधन के अनुसार भारत में अब 12 वर्ष की आयु प्राप्त व्यक्ति को वयस्क माना गया है ।
लोकसभा में सदस्यों की संख्या
उत्तर प्रदेश 80 ,महाराष्ट्र 48 ,पश्चिम बंगाल 42 बिहार 40 ,तमिलनाडु 39 मध्यप्रदेश 29
कर्नाटक 28 गुजरात 26 ,राजस्थान 25 आंध्र प्रदेश 25 ,उड़ीसा 21 केरल 20 ,तेलंगाना 17 झारखंड 14
लोकसभा की सदस्यता के लिए योग्यता:
- वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- वह व्यक्ति 25 वर्ष या इससे अधिक आयु पूरी कर चुका हो।
- भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अंतर्गत वह कोई लाभ के पद पर ना हो।
- वह पागल या दिवालिया ना हो।
लोकसभा का कार्यकाल:
लोकसभा का अधिकतम कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदाई होती है प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है ऐसा अब तक 8 बार हो चुका है।
आपातकाल की घोषणा लागू होने पर विधि द्वारा संसद लोकसभा के कार्यकाल में वृद्धि की जा सकती है जो एक बार में 1 वर्ष से अधिक नहीं होती आपातकाल की उद्घोषणा समाप्त हो जाने के पश्चात उसका विस्तार किसी भी दशा में 6 महीने से अधिक नहीं होगा लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाए और स्थगित किए जाते हैं लोकसभा की 2 बैठकों में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
लोकसभा के पदाधिकारी :
संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा स्वयं ही अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सुनेगी सुनेगी सुनती है प्रत्येक चुनाव के पश्चात जब लोकसभा का पहली बार आयोजन किया जाता है तब स्पीकर के द्वारा निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है स्पीकर उस समय तक कार्य करता है।
जब तक अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चयन नहीं कर लिया जाता अध्यक्ष उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष को त्यागपत्र देता है लोकसभा के अध्यक्ष अध्यक्ष के रूप में शपथ नहीं लेता बल्कि सामान्य सदस्य के रूप में ही शपथ लेता है लोकसभा में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष लोक सभा का संचालन करता है।
लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार:
सदन के सदस्यों के प्रश्नों को स्वीकार करना ने नियमित करना वह नियम के विरुद्ध घोषित करना किसी विषय को लेकर प्रस्तुत किया जाने वाला कार्य स्थगन प्रस्ताव अध्यक्ष की अनुमति से पेश किया जा सकता है संसद सदस्यों को भाषण देने की अनुमति देना और भाषणों को क्रमवार समय निर्धारित करना विभिन्न विधेयक व प्रस्ताव पर मतदान करवाना व परिणाम घोषित करना तथा मधु की समानता की स्थिति में निर्णायक मत देने का अधिकार होता है संसद और राष्ट्रपति के मध्य होने वाला पत्र व्यवहार करना तथा कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका निर्णय करना।
राज्यसभा:
संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है लेकिन वर्तमान में यह संख्या 245 है राज्यसभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं राज्यसभा एक स्थाई सदन है यह कभी बंद नहीं होता बल्कि इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष पर अवकाश ग्रहण करते हैं राज्यसभा के प्रत्येक सदन का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है किंतु प्रधानमंत्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
लोकसभा सदस्यों द्वारा अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन होता है लोकसभा एवं राज्यसभा की 2 बैठकों में 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
ये था आज का लेख जिसमें लोक सभा और राज्य सभा में अंतर के बारे में चर्चा हुई।
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