विधानसभा और विधान परिषद में अंतर
विधानसभा:
- विधानसभा राज्य के विधान मंडल का निम्न सदन है
- विधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से राज्य के मतदाताओं द्वारा होता है
- राज्य की विधान सभा के सदस्यों को की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम संख्या 8 हो सकती है
- साधारण अवस्था में राज्य विधानसभा का कार्यकाल उसकी पहली बैठक से 5 वर्ष का होता है किंतु राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के परामर्श पर इसे समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है और बढ़ाया भी जा सकता है
विधान परिषद:
- विधान परिषद विधानमंडल के उच्च सदन को विधान परिषद कहा जाता है वर्तमान समय में विधान परिषद भारतीय संघ के केवल 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र ,कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर ,तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में है
- विधान परिषद एक स्थाई सदन है विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है प्रत्येक 2 वर्ष पर एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्यों का निर्वाचन होता है
- संविधान में यह व्यवस्था की गई है इसकी प्रत्येक राज्य की विधान परिषद में सदस्यों की संख्या उस राज्य के विधानसभा सदस्यों की संख्या की एक तिहाई से अधिक नहीं होगी किंतु साथ ही यह संख्या 40 से कम भी नहीं हो सकती 36 सदस्यों वाली जम्मू कश्मीर अपवाद है
विधान परिषद का गठन :
- विधान परिषद का गठन विधान परिषद के गठन के लिए निम्न पांच आधारों का सहारा लिया जाता है
- एक तिहाई सदस्य राज्य के स्थानीय संस्थाओं द्वारा चुने जाते हैं
- एक तिहाई सदस्य राज्य की विधान सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं 1/12 सदस्य राज्य के पंजीकृत स्नातकों द्वारा निर्वाचित होते हैं
- 1/12 सदस्य राज्य के अध्यापकों द्वारा निर्वाचित होते हैं जो माध्यमिक पाठशाला या इससे उच्च शिक्षण संस्थान में कम से कम 3 वर्षों से अध्यापन कार्य कर रहे हैं
- 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं राज्यपाल द्वारा मनोनयन किया जाता है जिनका साहित्य विज्ञान कला सहकारिता और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान हो
राज्यपाल का चुनाव कैसे होता है :
राज्य की कार्यपालिका का प्रधान राज्यपाल होता है राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्षों के लिए की जाती है किंतु यहां राष्ट्रपति के पद धारण करता है प्रसादपर्यंत वह मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तथा उसके परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है वह महाधिवक्ता तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है उसे राज्य व्यवस्थापिका का अधिवेशन स्थगित करने तथा व्यवस्थापिका केनिम्न सदन विधानसभा को भंग करने की शक्ति है यदि राज्य के विधान मंडल का अधिवेशन नहीं चल रहा है तो राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है यदि राज्य का प्रशासन संविधान के उप बंधुओं के अनुसार नहीं चल रहा हो तो वह वह राष्ट्रपति को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के संबंध में सूचना देता है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होता है
मुख्यमंत्री की नियुक्ति :
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है सामान्यतया विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है मुख्यमंत्री विधानसभा का नेता होता है वह मंत्री परिषद का निर्माण विभिन्न मंत्रियों में विभागों का बंटवारा तथा उनके विभागों में परिवर्तन करता है
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