सॉफ्टवेयर क्या है तथा सॉफ्टवेयर के प्रकार
नमस्कार दोस्तों आज के आर्टिकल में सॉफ्टवेयर से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी हिंदी में दी गई है सॉफ्टवेयर क्या होता है सॉफ्टवेयर कितने प्रकार का होता है आदि जानकारी विस्तृत रूप में दी गई है आर्टिकल को पूरा पढ़ें और शेयर करें
सॉफ्टवेयर क्या है :
सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों अर्थात प्रोग्रामों की वह श्रंखला है जो कंप्यूटर सिस्टम के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कंप्यूटर के विभिन्न हार्डवेयरओं के बीच समन्वय स्थापित करता है ताकि किसी विशेष कार्य को पूरा किया जा सके इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर कार्य करता है इसे प्रोग्रामों का समूह कहते हैं अगर सीधे शब्दों में कहें तो सॉफ्टवेयर के द्वारा हम हार्डवेयर को कंट्रोल करते हैं और उन्हें निर्देश देते हैं
दूसरे शब्दों में “कंप्यूटरों में सैकड़ों की संख्या में प्रोग्राम होते हैं जो अलग-अलग कार्यों के लिए लिखे बनाए जाते हैं इन सभी प्रोग्रामों के समूह को सम्मिलित रूप से सॉफ्टवेयर कहा जाता है”
सॉफ्टवेयर के प्रकार :
सॉफ्टवेयर के प्रकार = सॉफ्टवेयर को उनके कार्यों तथा संरचना के आधार पर दो प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है-
1- सिस्टम सॉफ्टवेयर :
जो प्रोग्राम कंप्यूटर को चलाने उस को नियंत्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओं का अच्छे से उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं उनको सम्मिलित रूप से सिस्टम सॉफ्टवेयर कहा जाता है कंप्यूटर से हमारा संपर्क या संवाद सिस्टम सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही हो पाता है दूसरे शब्दों में कंप्यूटर हमेशा सिस्टम सॉफ्टवेयर के नियंत्रण में ही रहता है जिसकी वजह से हम सीधे कंप्यूटर से अपना संपर्क नहीं बना सकते सिस्टम सॉफ्टवेयर में भी प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कंप्यूटर सिस्टम को नियंत्रित करते हैं और उसके विभिन्न भागों के बीच उचित तालमेल बनाकर कार्य कराते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर कहलाते हैं.
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सिस्टम सॉफ्टवेयर कुछ भाग :
सिस्टम सॉफ्टवेयर के कुछ भागों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-
(a) ऑपरेटिंग सिस्टम :
इसमें भी प्रोग्राम शामिल होते हैं जो कंप्यूटर के विभिन्न अवयवों के कार्यों को नियंत्रित करते हैं उन में समन्वय स्थापित करते हैं तथा उन्हें प्रबंधित करते हैं इनका प्रमुख कार्य उपभोग करता तथा हार्डवेयर के मध्य एक समन्वय स्थापित करना है ऑपरेटिंग सिस्टम कुछ विशेष प्रोग्राम ओं का एक ऐसा व्यतीत समूह है जो किसी कंप्यूटर के संपूर्ण क्रियाकलापों को नियंत्रित रखता है ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर अन्य प्रोग्रामों को चालू करता है विशेष सेवाएं देने वाले प्रोग्राम काम मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उपयोगकर्ताओं की इच्छा के अनुसार आउटपुट निकालने के लिए डाटा का प्रबंधन करता है
ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण –एमएस डॉस ,विंडोज ,यूनिक्स ,लाइनेक्स इत्यादि
(b) डिवाइस ड्राइवर:
यह एक विशेष प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है जो किसी युक्ति के प्रचालन को समझाते हैं यह सॉफ्टवेयर किसी युक्त तथा उपयोगकर्ता के मध्य इंटरफ़ेस का, कार्य करते हैं किसी भी युक्ति को सुचारू रूप से चलाने के लिए चाहे वह प्रिंटर, माउस, मॉनिटर, कीबोर्ड ही हो उसके साथ एक ड्राइवर प्रोग्राम जुड़ा होता है डिवाइस ड्राइवर निर्देशों का एक ऐसा समय होता है जो हमारे कंप्यूटर का परिचय उस से जुड़ने वाले हार्डवेयर से कराता है
(c)भाषा अनुवादक :
यह ऐसे प्रोग्राम है जो विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं में लिखे गए प्रोग्रामों का अनुवाद कंप्यूटर की मशीनी भाषा में करते हैं यह अनुवाद करा ना इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि कंप्यूटर केवल अपनी मशीनी भाषा में लिखे हुए प्रोग्राम का ही पालन कर सकता है भाषा अनुवाद लोगों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जाता है
असेंबलर:
यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो असेंबली भाषा में लिखे गए किसी प्रोग्राम को पड़ता है और उसका अनुवाद मशीनी भाषा में कर देता है असेंबली भाषा के प्रयोग राम को शो प्रोग्राम कहा जाता है सोर्स प्रोग्राम कहा जाता है इसका मशीनी भाषा में अनुवाद करने के बाद जो प्रोग्राम प्राप्त होता है उसे ऑब्जेक्ट प्रोग्राम कहा जाता है
कंपाइलर:
यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो किसी प्रोग्रामर द्वारा उत्तरी उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम अनुवाद मशीनी भाषा में करता है कंपाइलर प्रोग्राम की प्रत्येक निर्देश का अनुवाद करके उसी मशीनी भाषा के निर्देशों में बदल देता है प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा के लिए एक अलग कंपाइलर की आवश्यकता होती है
इंटरप्रेटर:
यह किसी प्रोग्रामर द्वारा उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है परंतु यह एक बार में सोर्स प्रोग्राम के केवल एक कथन को मशीनी भाषा में अनुवाद करता है और उनका पालन कराता है इसका पालन हो जाने के बाद ही प्रोग्राम के अगले कथन का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है
2- एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर :
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर उन प्रोग्राम कहा जाता है जो हमारा वास्तविक कार्य कराने के लिए लिखे जाते हैं जैसे कार्यालय के कर्मचारियों के वेतन की गणना करना सभी लेनदेन तथा हाथों का हिसाब किताब रख में विभिन्न प्रकार की रिपोर्ट अपना पत्र दस्तावेज तैयार करना इत्यादि
हालांकि आजकल ऐसे प्रोग्राम सामान्य तौर पर सबके लिए एक जैसे लिखे हुए जाते हैं जिन्हें रेडीमेड सॉफ्टवेयर या पैकेज कहा जाता है जैसे एमएस वर्ड एमएस एक्सल फोटोशॉप आदि सामान्यतया एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं
(a)सामान्य उद्देश्य सॉफ्टवेयर :
यह प्रोग्राम का समूह है जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग में लाए हैं लाते हैं सामान्य उद्देश्य के सॉफ्टवेयर कहलाते हैं उदाहरण ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर स्प्रेडशीट डेटाबेस प्रबंधन
(b)विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर:
वे सॉफ्टवेयर यह सॉफ्टवेयर किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते हैं इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का अधिकांश था केवल एक उद्देश्य होता है सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ विशिष्ट उद्देश्य सॉफ्टवेयर हैं-
- इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम एंड पैकेजिंग सिस्टम
- पेरोल मैनेजमेंट सिस्टम
- होटल मैनेजमेंट सिस्टम
3- सिस्टम यूटिलिटीज :
यह प्रोग्राम कंप्यूटर के रखरखाव के संबंधित कार्य करते हैं यह प्रोग्राम कंप्यूटर के कार्यों को सरल बनाने उसे अशुद्धियों से दूर रखने तथा सिस्टम के विभिन्न सुरक्षा कार्यों के लिए बनाए जाते हैं यूटिलिटी प्रोग्राम कई ऐसे कार्य करते हैं जो कंप्यूटर का उपयोग करते समय हमें कराने पड़ते हैं उदाहरण के लिए कोई यूटिलिटी प्रोग्राम हमारी फाइलों का बैकअप किसी बाहरी भंडारण साधन पर लाने का कार्य कर सकता है कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर निम्न प्रकार हैं-
(a) डिस्क कंप्रेशन
यह हार्ड डिस्क पर उपस्थित सूचना पर दबाव डालकर उसे संकुचित कर देता है ताकि हार्ड डिस्क पर अधिक से अधिक सूचना स्टोर किया जा सके यह यूटिलिटी स्वयं अपना कार्य करती रहती हैं तथा जरूरी नहीं है कि उपयोगकर्ता को इसकी उपस्थिति की जानकारी हो
(b)डिस्क फ्रेगमेंटर
यह कंप्यूटर की हार्ड डिस्क पर विभिन्न जगहों पर बिखरी हुई फाइलों को उन्हें एक स्थान पर लाता है इसका प्रयोग फाइनल तथा हार्ड डिस्क की खाली पड़ी जगह को व्यवस्थित करना होता है
(c)बैकअप यूटिलिटी
यह कंप्यूटर की डिस्क पर उपस्थित सारी सूचना की एक कॉपी रखता है तथा जरूरत पड़ने पर कुछ जानकारी जरूरी फाइलें या पूरी हार्ड डिस्क की सामग्री वापस स्टोर कर देता है
(d)डिस्क क्लीनअप क्लीनर
यह उन फाइलों को ढूंढ कर डिलीट करता है जिनका बहुत समय से उपयोग नहीं हुआ है इस प्रकार यह कंप्यूटर की गति को भी तेज करता है
(e)एंटीवायरस स्कैनर एंड रिमूवर
यह ऐसे यूटिलिटी प्रोग्राम है जिनका प्रयोग कंप्यूटर के वायरस ढूंढने और उन्हें डिलीट करने में होता है
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