elon Musk’s starlink coming to india soon//starlink // elon musk satellite internet
नमस्कार दोस्तों आज आर्टिकल में हम जानेंगे स्टार लिंक(starlink) क्या है , स्टार लिंक (starlink) किसकी कंपनी है और स्टार लिंक(starlink) किस प्रकार हाई स्पीड इंटरनेट प्रोवाइड करेगी
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starlink |
starlink :
स्पेसएक्स (elon musk)एलन मस्क की कंपनी है यह कंपनी अंतरिक्ष में इंटरनेट का एक नया जाल बिछा रही है इस प्रोजेक्ट का नाम है starlink (स्टार लिंक )स्पेसएक्स अंतरिक्ष में हजारों की संख्या में सेटेलाइट तैनात करना चाहती है इसीलिए लगभग आपको हर महीने आपको स्टालिन के प्रोजेक्ट लॉन्च होने की खबर मिलती रहती है
25 जनवरी 2021 को स्पेसएक्स( starlink)स्टरलिंक के तहत एक साथ 143 सेटेलाइट लांच की यह अब तक एक साथ इतनी अधिक संख्या में सेटेलाइट लांच करने का सबसे बड़ा रिकॉर्ड रहा है इससे पहले यह रिकॉर्ड भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने बनाया था 2017 में इसरो ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च की थी 143 सैटेलाइट लॉन्च करके रिकॉर्ड starlink ने बनाया है
लेकिन स्पेसएक्स ने इसरो का यह रिकॉर्ड तोड़ दिया है एलोन मस्क दुनिया के हर कोने तक इंटरनेट पहुंचाने की बात कर रहे हैं जब भी हम इंटरनेट चलाते हैं तो डाटा का लेन-देन होता है जब हम किसी वेबसाइट को ओपन करते हैं तो उसका डाटा आप से हजारों मील दूर रखें सरवर पर save होता है फेसबुक ,गूगल जैसी अधिकतर कंपनियों के सर्वर अमेरिका में है अब आप यह सोच रहे होंगे कि यह डाटा अमेरिका से आपके फोन तक कैसे पहुंचता है तो इसका जवाब है ऑप्टिकल फाइबर ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है आप आर्टिकल में पढ़ेंगे
starlink elon musk satellite internet :
ज्यादातर लोग जो इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे हैं वह ऑप्टिकल फाइबर के दम पर चल रहा है समुद्र और जमीन के अंदर ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाई गई है इन्हीं केबल के जरिए डाटा एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचता है यह केवल आपके नजदीकी मोबाइल टावर तक डाटा पहुंचाती है और उस मोबाइल टावर से आप अपने डाटा को एक्सेस कर पाते हैं मतलब यह हुआ कि इंटरनेट वहीं तक पहुंच सकता है जहां तक ऑप्टिकल केवल बिछा हुआ है और हर जगह ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाना संभव नहीं है तो अब आप यह सोच रहे होंगे तो ऊंचे पहाड़ी इलाकों में इंटरनेट कैसे चलेगा समुद्र के बीचो-बीच इंटरनेट कैसे चलेगा फाइबर के पहुंच नहीं है वहां इंटरनेट कैसे चलेगा तो इस सवाल का जवाब है सेटेलाइट
satellite internet – starlink :
इंटरनेट सेटेलाइट इंटरनेट बहुत पहले से ही चला रहा है इसके जरिए दूरदराज के इलाकों में मैं भी इंटरनेट चलाया जा सकता है जा रहा है सेटेलाइट को माध्यम बनाकर किन्ही दो जगहों पर डाटा एक जगह से दूसरी जगह जा सकता है जमीन पर स्थित लाइट को सैटेलाइट को सिग्नल भेजेगा डाटा भेजेगा और सेटेलाइट डाटा आपके मोबाइल फोन तक या आप तक पहुंच जाएगा
यह प्रोसेस बहुत स्लो है और महंगा भी फिलहाल इंटरनेट के लिए जिन सेटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है वह पृथ्वी की सतह से लगभग 36000 किलोमीटर ऊंचाई पर होती हैं कितनी ऊंचाई पर होने के कारण यह पृथ्वी के एक बड़े भूभाग को कवर कर सकती हैं यानी बड़े क्षेत्र को इंटरनेट सप्लाई कर सकती हैं लेकिन दूरी अधिक होने के कारण इंटरनेट स्पीड कम हो जाती है जैसे कि यदि हम कहें कि हमें डाटा भारत से यूरोप भेजना है तब यदि ऑप्टिकल केबल के द्वारा जाएगा 6 से 7000 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी मंजिल तक पहुंच जाएगा लेकिन लेकिन यदि डाटा सेटेलाइट के माध्यम से जाएगा तो वह डाटा पहले तो 36000 किलोमीटर की दूरी तय करके सेटेलाइट जाएगा फिर सेटेलाइट उस डाटा को उसकी मंजिल तक पहुंचाएगा कुल मिलाकर 72000 किलोमीटर का सफर तय करना होगा
starlink :
starlink अपने सेटेलाइट को ऊंचाई पर रखेगा यदि हम ऑफिशियल डाटा की बात करें तो स्टर्लिंग अपनी सेटेलाइट को पृथ्वी से लगभग 550 किलोमीटर इंटर रखेगा की ऊंचाई पर रखेगा जिससे बहुत ही अच्छी रहेगी लेकिन इतनी कम ऊंचाई से सैटेलाइट बहुत कम क्षेत्र को कवर कर पाएगी और अधिक सेटेलाइट की आवश्यकता होगी इसीलिए स्टर्लिंग अपने प्रोजेक्ट में बहुत अधिक संख्या में सैटेलाइट लॉन्च कर रही है जिससे वह पृथ्वी के बड़े भूभाग को बड़े इलाके को कवर कर सके एलन मस्क को बहुत सारी सैटेलाइट लॉन्च करना दूसरों के मुकाबले सस्ता पड़ेगा क्योंकि उनके पास खुद की टेक्नोलॉजी है स्पेसएक्स स्पेसएक्स प्राइवेट कंपनियों में सबसे आगे है स्पेस के पास वेलकम रॉकेट है जो कि बहुत ही पावरफुल है और इसका खास बात यह है कि यहां रेबल है मतलब यह है अंतरिक्ष में छोड़ने के बाद पुनः पृथ्वी पर वापस आ जाता है जबकि दूसरे का नहीं कर पाते हैं और वह क्रेश्या वेस्ट हो जाते हैं और टेल्को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है
जिससे एलन मस्क(elon musk) का काम कम खर्चे में हो जाएगा स्टार लिंक(stalink) प्रोजेक्ट के लिए स्टेज तक elon musk satellite internet को पहले ही लगभग 12000 सैटेलाइट लॉन्च करने की परमिशन मिल गई थी यह सभी सेटेलाइट 350 किलोमीटर से 12:00 100 किलोमीटर की ऊंचाई के मध्य होगी स्टालिन की सेटेलाइट आपस में लेजर टेक्नोलॉजी के द्वारा डाटा ट्रांसफर करें करेंगी यानी लाइट की स्पीड से और दुनिया में लाइट से कोई नहीं है फाइबर सिग्नल में लाइट के द्वारा ही ट्रांसफर होते हैं
starlink satellite internet :
स्टर्लिंग( starlink) से आपको इंटरनेट यूज करने के लिए एक राउटर की आवश्यकता होगी जो कि सेट टॉप बॉक्स जैसा होगा इसके अंदर विभिन्न प्रकार के ट्रांसमिशन डिवाइस लगी होगी जो सैटेलाइट को सिग्नल भेजेंगे और रिसीव करेंगे स्टालिन की बहुत तेज गति से पृथ्वी की परिक्रमा करें जिससे आपका बॉक्स अपने नजदीकी सैटेलाइट को डाटा भेजेगा और वहीं से सेटेलाइट एक सीरीज में एक दूसरे को ट्रांसफर करके जल्द से जल्द आपकी मंजिल तक पहुंच जाएंगे
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