राष्ट्रपति के निर्वाचन में कौन कौन भाग लेता है :-राष्ट्रपति के निर्वाचन में संसद एवं विधान मंडलों की मनोनीत सदस्य तथा विधान परिषद के सदस्यों को मतदान करने का अधिकार नहीं होता है संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों की कुल मत संख्या समान रखी जाती है
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राष्ट्रपति का निर्वाचन |
ऐसा इसलिए किया गया है जिससे ना तो संसद अपनी इच्छा को अपने बहुमत से राज्यों पर आरोपित कर सके और ना राज्य अपने बहुमत से संसद की इच्छा के विरुद्ध कार्य कर सकें भिन्न भिन्न राज्यों के प्रतिनिधि तत्वों के मान में एकरूपता तथा राज्यों और संघ में संतुलित प्राप्त कराने के लिए संसद और प्रत्येक राज्य की विधानसभा के सदस्य के मत का मूल्य लिखित विधि द्वारा निकाला जाता है
राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है ?
राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल मतदान संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा गुप्त मतदान पद्धति से होता है सभी मतदाता चुनाव पत्र पर अपनी अपनी मत देते हैं चुनाव में विजई होने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम एक निश्चित संख्या में मत प्राप्त करना अनिवार्य होता है
एक निश्चित संख्या को निर्धारित कोटा कहा जाता है यह कोटा वैध मतों का स्पष्ट बहुमत होता है अर्थात आधे से अधिक मत होने चाहिए मतगणना के प्रथम चक्र में प्रथम प्राथमिकताओं की गिनती की जाती है और यदि इसमें ही किसी उम्मीदवार को निर्धारित कोटा प्राप्त हो जाता है तो उसे विजई घोषित कर दिया जाता है
यदि प्रथम चक्र में निर्धारित कोटा किसी को भी प्राप्त नहीं होता है तो द्वितीय चक्र तृतीय चक्र जब तक निर्धारित कोटे के मत नहीं मिल जाते मतगणना जारी रहती है द्वितीय चक्र में द्वितीय प्राथमिकताओं को गिना जाता है तथा जिस उम्मीदवार के सबसे कम होते हैं तथा जिसके जीतने के अवसर नगर होते हैं उसके मत दूसरे उम्मीदवार को दे दिए जाते हैं किसी उम्मीदवार को निर्धारित कोटा मिल जाने पर मतगणना समाप्त कर दी जाती है
राष्ट्रपति पद के लिए अनिवार्य योग्यताएं
राष्ट्रपति पद के लिए नीचे दी गई योग्यताएं होनी चाहिए-
- वह भारत का नागरिक हो
- इच्छुक उम्मीदवार 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
- इच्छुक उम्मीदवार लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता है
- वह संसद के किसी सदन का या राज्य विधानमंडल का सदस्य ना हो
- वह केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन अन्य किसी लाभ के पद पर ना हो
राष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां
राष्ट्रपति राष्ट्र का सर्वोच्च अधिकारी एवं प्रधान होता है भारतीय संविधान की धारा 63 के अनुसार राष्ट्रपति को निम्नलिखित कार्य एवं शक्तियां प्रदान की गई हैं जिनका प्रयोग अपने अधीनस्थ अधिकारियों की सहायता से कर सकता है राष्ट्रपति के अधिकारों को मुख्य दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-
(a) .साधारण स्थिति में अधिकार
(b).संकटकालीन अधिकार
(a).साधारण स्थिति में अधिकार-
1. कार्यपालिका या शासन संबंधी अधिकार-
- राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है उसकी सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति तथा उनके विभागों का बंटवारा करता है
- राष्ट्रपति विदेशों के लिए भारतीय राजदूत नियुक्त करता है तथा बाहर से आए हुए राजदूतों के प्रमाण पत्र भी देखता है
- राष्ट्रपति भारतीय जल ,थल एवं वायु सेनाओं का प्रधान होता है
- राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से शासन संबंधी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है
2.कानून निर्माण संबंधी अधिकार-
- राष्ट्रपति व्यवस्थापिका का महत्वपूर्ण है उसे कानून निर्माण के क्षेत्र में भी अधिकार गए हैं राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन बुलाने स्थगित करने तथा लोकसभा को भंग करने का अधिकार प्राप्त है
- राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने या लिखित संदेश भेजने का अधिकार प्राप्त है
- संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुए बिना कानून नहीं बन सकता संसद का अधिवेशन ना चलने की स्थिति में राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है
3.धन संबंधी अधिकार-
- संविधान में राष्ट्रपति को धन संबंधी भी अधिकार दिए गए हैं राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के आरंभ में वित्त मंत्री के माध्यम से संसद में बजट प्रस्तुत करता है
- राष्ट्रपति की अनुमति के बिना कोई वित्त विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता
- राष्ट्रपति आकस्मिक निधि से सरकार को खर्च करने के लिए धन दे सकता है
- राष्ट्रपति करो को लगाने तथा प्रचलित करो को समाप्त करने की सिफारिश कर सकता है
4.न्याय संबंधी अधिकार-
- राष्ट्रपति किसी अपराधी की सजा को कम कर सकता है बदल सकता है या क्षमा भी कर सकता है
- राष्ट्रपति को मृत्युदंड भी क्षमा करने का अधिकार होता है राष्ट्रपति के अधिकार में केवल इतनी ही सीमितता है कि यह दंड अपराधी को सैनिक न्यायालय द्वारा न दिए गए हो
- राष्ट्रपति की स्वीकृति से उच्चतम न्यायालय की बैठक दिल्ली के अतिरिक्त अन्य भी कहीं बुलाई जा सकती है
(b).संकटकालीन अधिकार –
संविधान में राष्ट्रपति को संकटकाल में विशेष अधिकार प्राप्त हैं संकट काल की परिस्थितियों में राष्ट्रपति संकट काल की घोषणा करके शासन सूत्र को अपने हाथों में ले सकता है राष्ट्रपति देश में संकट काल की घोषणा लिखित परिस्थितियों में कर सकता है जैसे कि वर्ष 2020-21 कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन किया गया था-
- युद्ध बाहरी आक्रमण सशस्त्र विद्रोह अथवा उसकी संभावना से संकट उत्पन्न हो जाने पर,
- राज्यों में संवैधानिक शासन के विफल हो जाने के कारण संकट उत्पन्न हो जाने पर
- देश में वित्तीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाने पर
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