Apvartan ke niyam – प्रकाश का अपवर्तन

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1 प्रकाश का अपवर्तन|अपवर्तन के नियम

प्रकाश  का अपवर्तन|अपवर्तन के नियम

जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करता है तो दूसरे माध्यम में जाने पर इसका वेग तथा दिशा बदल जाती है या परिवर्तन हो जाता है तो यह घटना प्रकाश का अपवर्तन कहलाती है

प्रकाश का अपवर्तन



प्रकाश के अपवर्तन के नियम :

प्रकाश के अपवर्तन के तीन नियम हैं-

अपवर्तन का प्रथम नियम आपत्ती किरण ,आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा अपवर्तन किरण तीनों एक ही तल में स्थित होंगे

अपवर्तन का द्वितीय नियम – आपतन कोण(i) की sine तथा एक निश्चित  तरंगदैर्ध्य के लिए अपवर्तन कोण की sine की निष्पत्ति नियत रहती है
प्रकाश का अपवर्तन

अपवर्तनांक दो माध्यमों का सापेक्ष गुण है  निर्वात के सापेक्ष किसी माध्यम के अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं  n1,n2 प्रथम दूसरे माध्यम के निरपेक्ष अपवर्तनांक हैं किसी माध्यम का अपवर्तनांक माध्यम की प्रकृति आपत्ति प्रकाश की तरंग दैर्ध्य तथा ताप पर निर्भर करता है इसका मात्रक नहीं होता है

अपवर्तन का तृतीय नियम – अपवर्तक किरण की आवृत्ति वही रहती है जो आपतित किरण की होती है परंतु उसका वेग बदल जाता है यदि प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो अर्थात अपवर्तक किरण अभिलंब की ओर मुड़ जाती है यदि प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तू अपवर्त्य किरण अभिलंब से दूर हट जाती है

क्रांतिक कोण का महत्व तथा पूर्ण आंतरिक परावर्तन के अनुप्रयोग :

जल में परखनली का चमकीला दिखना :

यदि एक खाली परखनली को जल से भरे बीकर में रखकर टेढ़ा करते जाएं तो बीकर  के ऊपर से देखने पर एक स्थिति में नली  चांदी की भांति चमकीला दिखाई देता है इसका कारण यह है कि नली   टेढ़ा  करने से उस पर गिरने वाले प्रकाश का आपतन कोण बढ़ता जाता है जब यह कोण कांच- वायु के क्रांतिक कोण से बड़ा हो जाता है तो प्रकाश नली के  वायु में नहीं जाता बल्कि नली की दीवार पर पूर्ण परावर्तित होकर आंख में पहुंचने लगता है और हमें नली चमकदार दिखने लगती है यदि परखनली में जल भर दे तो नली चमकीली नहीं दिखाई देती है क्योंकि कांच और जल के लिए क्रांतिक कोण का मान कांच तथा वायु के क्रांतिक कोण के मान से बहुत बड़ा होता है इसलिए इस स्थिति में प्रकाश का पूर्ण परावर्तन नहीं हो पाता

कांच में पड़ी दरारों का चमकना :

जब खिड़की में लगा कांच चटक जाता है तो उसमें दरारे पड़ जाती हैं जिनमें वायु की पतली परत जाती है यह दरारे देखने पर चमकती दिखाई देती हैं इसका कारण यह है कि इन दरारों पर पड़ने वाला  प्रकाश वायु की परत में नहीं जाता बल्कि कांच वायु के सीमा पृष्ठ से परावर्तित होकर आंख में पहुंच जाता है इसी प्रकार यदि कांच अथवा जल के भीतर वायु का कोई बुलबुला हो तो वह भी बहुत चमकीला दिखाई देता है

हीरे का चमकना :

हीरे से वायु  में आने वाली किरण के लिए क्रांतिक कोण बहुत कम होता है जब बाहर का प्रकाश किसी कटे हुए हीरे में प्रवेश करता है तो उसके भीतर विभिन्न पदों पर बारबार पूर्ण परावर्तित होता रहता है जब किसी तल पर आपतन कोण 24 से कम हो जाता है तब ही प्रकाश से बाहर पाता है इस प्रकार हीरे में सभी दिशाओं से प्रवेश करने वाला प्रकाश केवल कुछ ही दिशाओं में हीरे से बाहर निकलता है इन दिशाओं से देखने पर हीरा अत्यंत चमकदार दिखाई देता है

ठंडे देशों में मरीचिका :

बहुत ठंडे देशों में समुद्र पर अथवा बर्फ के क्षेत्रों में दूर की वस्तु के प्रतिबिंब वायु में उल्टे लटके दिखाई देते हैं इसका कारण यह है कि जल तथा बर्फ में लगी वायु की परतें ठंडी होने के कारण सघन हो जाती है  और ऊपर की परतें विरल होती जाती हैं अतः समुद्र के जल पर तैरते जहाज से चली किरणों ऊपर की ओर आते हुए वायु की परतों परिवर्तित होकर अभिलंब से दूर हट जाती हैं और किसी विशेष परत पर पूर्ण परावर्तन के पश्चात नीचे आने लगती हैं जब यह कहने व्यक्त की आंखों तक पहुंचती हैं तो उस जहाज का उल्टा प्रतिदिन ऊपर वालों में लटका हुआ दिखाई देता है नीचे की परतें भारी होने के कारण चलाएं मान नहीं होती इसलिए यह  प्रतिबिंब स्थिर दिखाई देता है