कूलाम का नियम क्या है
हम जानते हैं कि दो समान प्रकार के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षण करते हैं तथा विपरीत प्रकार के आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं इससे यह पता चलता है कि दो आवेशों के बीच एक बल कार्य करता है जिसे वैद्युत बल कहते हैं इसी आधार पर कूलाम के नियम की व्याख्या की जाती है
समान आवेशों के बीच वैद्युत बल प्रतिकर्षण बल होता है तथा विपरीत आवेशों के मध्य यह बल आकर्षण बल होता है यदि विद्युत आवेश निर्वात में स्थित हो तब उनके बीच वैद्युत बल लगता है
कूलाम का नियम :
1750 ईस्वी में फ्रांसीसी वैज्ञानिक कूलाम ने प्रयोगों के आधार पर दो आवेशों के बीच कार्य करने वाले बल के संबंध में एक नियम दिया जिसे कूलाम का नियम कहते हैं
“कूलाम के नियम के अनुसार दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण का बल दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है यह बल दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होता है इस नियम को कूलाम का नियम कहते हैं”
कूलाम के नियम का सूत्र :
- K = अनुक्रमानुपाती नियतांक जिसका मान आवेशों के बीच के माध्यम पर तथा आवेश दूरी व चाल के मात्रकों पर निर्भर करता है
- q1 , q2 = बिंदु आवेश हैं
- F = बल है
- r = एक दूसरे से दूरी है
कूलाम क्या है :
एक कूलाम आवेश है जो अपने से 1 मीटर की दूरी पर निर्वात में रखे इसी परिमाण के किसी अन्य सजातीय आवेश को न्यूटन के बल से प्रदर्शित करता है कूलाम आवेश का बहुत बड़ा मात्रक है इसीलिए सामान्यता माइक्रोकूलाम का उपयोग करते हैं
कूलाम के नियम का महत्व :
कूलाम का नियम बहुत बड़ी दूरियों से लेकर बहुत छोटी दूरियों तक यहां तक कि परमाणुवी दूरियों तथा नाभिकीय दूरियों के लिए सत्य हैं इस नियम से न केवल आवेशित वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले बलों का ही ज्ञान होता है बल्कि उन वालों की भी व्याख्या करने में सहायता मिलती है जिनके कारण किसी परमाणु के इलेक्ट्रॉन उसके नाभिक के साथ बंदकर परमाणु की रचना करते हैं
हमारे दैनिक जीवन में अनुभव होने वाले अधिकांश ऐसे बल जो गुरुत्वाकर्षण बल नहीं है वैद्युत बल ही हैं परमाणु के नाभिक के भीतर उपस्थित कणों के बीच एक अन्य आकर्षण बल कार्य करता है जो कि इन कणों को परस्पर बांधकर रखता है इसे नाभिकीय बल कहते हैं यह बल कणों को आवेशित तथा अनआवेशित होने पर निर्भर नहीं करता और ना ही इसका कूलाम के नियम से कोई संबंध परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि नाभि के भीतर दो प्रोटॉन के बीच कूलाम बल प्रतिकर्षण बल विद्यमान नहीं है
कूलाम के नियम का सदिश स्वरूप :
आवेश q1 के कारणq2पर आरोपित बल-
कूलाम के नियम का सदिश स्वरूप का महत्व :
- दोनों आवेशों द्वारा एक दूसरे पर लगने वाला बल बराबर तथा विपरीत है इस प्रकार कूलाम का नियम न्यूटन के तृतीय नियम का पालन करता है
- दोनों आवेशों q1 वq2को मिलाने वाली रेखा के अनुदेश लगने वाला बल F12 व F21 परस्पर विपरीत है अर्थात स्थिर वैद्युत बल केंद्रीय बल होते हैं
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