दोस्तों क्या आप जानते हैं ट्रांजिस्टर क्या होता है ? यदि नहीं तो ट्रांजिस्टर बहुत ही छोटे आकार का यह देखने में तो बहुत ही छोटा और साधारण इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है लेकिन इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है जिसके कारण हम अपने मोबाइल और कंप्यूटर पर इतनी तेज गति से काम कर पाते हैं
ट्रांजिस्टर के बिना किसी की लेक्ट्रॉनिक सर्किट को बनाना मुमकिन नहीं है सबसे ज्यादा ट्रांजिस्टर का यूज़ एमप्लीफिकेशन के लिए किया जाता है ट्रांजिस्टर ऐसा अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और इलेक्ट्रिसिटी को एंपलीफायर करने में किया जाता है किया जाता है ट्रांजिस्टर अर्धचालक पदार्थ से मिलकर बना होता है
ट्रांजिस्टर का आविष्कार :
दोस्तों क्या आप जानते हैं की ट्रांजिस्टर का आविष्कार किसने किया, जर्मनी के भौतिक विज्ञानी जूसियस एडगर लिलेंफेल्ड field effect transistor के लिए प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन सबूतों की कमी के कारण इसे स्वीकार नहीं किया गया बाद में ट्रांजिस्टर का आविष्कार जॉन बब्रदीन ,वॉटर ब्रट्टैन और विलियम शॉकलेय ने 1947 में किया था
transistor in hindi :
ट्रांजिस्टर बनाने के लिए ज्यादातर सिलिकॉन और जर्मेनियम का प्रयोग किया जाता है ट्रांजिस्टर में 3 सिरे या टर्मिनल होते हैं जिनका उपयोग दूसरे सर्किट को जोड़ने में किया जाता है ट्रांजिस्टर के तीन टर्मिनल होते हैं बेस ,कलेक्टर ,एमिटर ट्रांजिस्टर टर्मिनल के किसी pair में में करंट डालने पर दूसरे ट्रांजिस्टर के जोड़ी में करंट बदल जाता है बहुत सारे डिवाइस में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया जाता है जैसे एंपलीफायर
Types of transistor in hindi (ट्रांजिस्टर के प्रकार) :
ट्रांजिस्टर दो प्रकार के होते हैं-
- एनपीएन ट्रांजिस्टर
- पीएनपी ट्रांजिस्टर
npn transistor (एनपीएन ट्रांजिस्टर) – इसमें पी टाइप की परत को दो n टाइप के परतों के बीच लगाया जाता है यानी किसी ट्रांजिस्टर का P सिरा यदि बीच में है तो वह एनपीएन ट्रांजिस्टर कहलाएगा इसमें इलेक्ट्रॉन Base टर्मिनल से होते हुए कलेक्टर से एमिटर की ओर बहते हैं.
ट्रांजिस्टर कमजोर सिग्नल को एंपलीफाय करके base की तरह भेजते हैं एनपीएन ट्रांजिस्टर एमिटर से लेकर कलेक्टर तक ही सीमित होते हैं जिससे यह करंट पैदा करते हैं इस प्रकार के ट्रांजिस्टर का प्रयोग सर्किट में किया जाता है क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉन मेजॉरिटी चार्ज होते हैं और माइनॉरिटी होल्स हैं इसीलिए इसे nPn (एनपीएन) ट्रांजिस्टर कहते हैं.
इसमें पी बेस होता है और छोटा एंड एमिटर और दूसरा कलेक्टर होता है इसमें करंट कलेक्टर से एमिटर की ओर बहता है और इसमें base कंट्रोलर की तरह कार्य करता है और बेस पर जितने सिग्नल दिए जाते हैं उसी हिसाब से करंट कलेक्टर से एमिटर की ओर बहने लगता है इसे अच्छी तरह समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं
आपने अपने घर स्कूल ऑफिस हर जगह पर पानी का नल देखा होगा जिसके लिए ऊपर छत पर टंकी लगी रहती है और पाइप से पानी को नीचे लाया जाता है जिसमें से पानी बहता है और बेटा ही रहेगा अगर उसको रोकने के लिए वॉल टूटी ना लगाई जाए जिस को बंद कर देने पर पानी नहीं रहे जब आपको जरूरत होती है तब आप 20 को खोल कर पानी ले लेते हैं फिर से पानी को बंद कर देते हैं साथ ही कम पानी चाहिए तो कम खोलते हैं और ज्यादा पानी चाहिए तो ज्यादा खोलते हैं कहने का मतलब यह है कि जितने हमें जरूरत होती है और जिस गति से होती है उसी हिसाब से टोटी खोलते हैं ठीक इसी प्रकार ट्रांजिस्टर भी कार्य करता है और उसको देश नियंत्रित करता है आशा करता हूं कि आपको ट्रांजिस्टर अच्छे से समझ में आ गया होगा
pnp transistor (पीएनपी ट्रांजिस्टर) –
अब बात करते हैं पीएनपी ट्रांजिस्टर की पीएनपी ट्रांजिस्टर में दो p क्षेत्र होते हैं जिनको एक पतले से n क्षेत्र द्वारा विभाजित किया जाता है इस ट्रांजिस्टर में base से निकला हुआ कम राउंड का करंट एमिटर और कलेक्टर से निकले करंट को नियंत्रित करने का काम करता है
पीएनपी ट्रांजिस्टर में दो क्रिस्टल डायोड होते हैं जो एक के पीछे एक जुड़े होते हैं बाईं तरफ के डायोड को एमिटर बेस डायोड कहा जाता है और दाएं तरफ से डायोड को कलेक्टर बेस डायोड कहा जाता है.
pnp और npn ट्रांजिस्टर के कार्य :
npn और pnp ट्रांजिस्टर के कार्य अनिवार्य रूप से समान ही हैं लेकिन प्रत्येक प्रकार के लिए बिजली की पावर आपूर्ति ध्रुवता बदल जाती है pnpऔर एनपीएन में एक बड़ा अंतर यह है कि एनपीएन ट्रांजिस्टर में पीएनपी ट्रांजिस्टर की तुलना में उच्च आवृत्ति की आवर्ती प्रक्रिया होती हैं क्योंकि इलेक्ट्रॉन का प्रवाह तेज होता है.
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