वेब ब्राउज़र क्या है और कैसे कार्य करता है

आजकल के समय में इंटरनेट से लगभग 80% लोग किसी ना किसी रूप में जुड़े हुए हैं और इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं क्या आप जानते हैं वेब ब्राउज़र क्या है और कैसे कार्य करता है, आप अपने मोबाइल में या कंप्यूटर लैपटॉप में वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल प्रतिदिन करते होंगे लेकिन शायद आप ब्राउज़र के बारे में वेब ब्राउज़र के इतिहास के बारे में ना जानते हो आज के इस आर्टिकल में वेब ब्राउज़र से संबंधित सभी जानकारियां- वेब ब्राउज़र क्या है और कैसे कार्य करता है के बारे में बताया गया है।

वेब ब्राउज़र क्या है :

वेब ब्राउज़र एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो यूजर को इंटरनेट से इंफॉर्मेशन ढूंढने में मदद करता है वेब ब्राउज़र वह माध्यम है वर्ल्ड वाइड पर मौजूद वेबसाइट पर मिलने वाले किसी भी तरह की जानकारी जैसे आर्टिकल इमेजेस, वीडियोस, फोटोस आदि चीजों को एक्सेस करने की अनुमति देता है।

वेब ब्राउज़र के कार्य


आज हम इंटरनेट का इस्तेमाल कर जो कुछ भी पढ़ते हैं या सर्च करते हैं वह सब वेबसाइट के वेब पेजेस में मौजूद होता है और कंप्यूटर की भाषा में एचटीएमएल लिखा जाता है जिसे हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज कहते हैं

इसके कोड को लिखकर वेब पेजेस बनाए जाते हैं एचटीएमएल का प्रयोग वेबसाइट के पेजेस को रैंक करने के लिए किया जाता है जब हम वेब ब्राउज़र के के एड्रेस बार में कोई भी सवाल लिखकर सर्च करते हैं तो यह सॉफ्टवेयर हमें अनगिनत वेब पेजेस में  हमारे द्वारा पूछी गई जानकारी को ढूंढ कर हम तक उपलब्ध कराता है

उसके बाद वह हमें जानकारी मिल जाती है वेब ब्राउज़र हर कंप्यूटर डिवाइस में इंस्टॉल होता है जब  हमारा डिवाइस इंटरनेट से जुड़ता है तब यह ब्राउज़र काम करना शुरू करते हैं इंटरनेट और वे ब्राउज़र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं बिना इंटरनेट के ना ब्राउज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं और ना ही वेब ब्राउज़र के बिना इंटरनेट हमारे किसी काम का है।

 वेब ब्राउज़र का इतिहास :

अब हम जानेंगे कि वेब ब्राउज़र का इतिहास क्या है वेब ब्राउज़र शब्द से ही हम इसके बारे में जान सकते हैं वेब का मतलब होता है जान  जिसे कंप्यूटर की भाषा में इंटरनेट कहा जाता है और ब्राउज़र का मतलब होता है ढूंढना तो तो इस शब्द का पूरा मतलब हुआ इंटरनेट की दुनिया में जाकर किसी विषय के बारे में  ढूंढना।

दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे लोगों को हर चीज का ज्ञान मिले इसके लिए वह ब्राउज़र को बनाया गया वेब ब्राउज़र कंप्यूटर्स में तब से मौजूद है जबसे इंटरनेट का आविष्कार हुआ सन 1990 में जब टीम बर्नर्स ली ने कंप्यूटर पर इंटरनेट इंफॉर्मेशन को सेव करने के तरीकों पर काम कर रहे थे तब उन्होंने इस कार्य को हाइपरलिंक के द्वारा आसान कर दिया।

हाइपरलिंक एचटीएमएल लैंग्वेज की एक कमांड होती है जिसका इस्तेमाल वेब पेजेस में लिखे हुए टेक्स्ट में क्या जाता है हाइपरलिंक टेक्स्ट का वह भाग होता है जिसमें अन्य किसी पेज का पता दिया ,एड्रेस दिया जाता है। 

उस लिंक पर क्लिक करने पर ब्राउजर में दूसरे पेज पर ले जाता है टीम बर्नर्स ली ने कंप्यूटर पर मौजूद डाटा इनफार्मेशन को दूसरे कंप्यूटर पर आने के लिए एचटीएमएल लैंग्वेज का निर्माण किया एचटीएमएल स्पेशल code में लिखा जाता है दूसरे प्रोग्रामिंग भाषाओं में बिल्कुल अलग है और आसान होता है जिसे  HTML tags नाम से जाना जाता है।

 एचटीएमएल का उपयोग करके वेब पेज बनाए जाते हैं लेकिन प्रॉब्लम यह है कि इन टेक्स्ट को हर कोई समझ नहीं सकता था इसलिए एक सॉफ्टवेयर बनाया गया जो एचटीएमएल को पढ़कर यूजर्स के सामने इंफॉर्मेशन दिखा सके इन सॉफ्टवेयर को ही वेब ब्राउज़र कहा जाता है  दुनिया के पहले वेब ब्राउज़र का नाम world wide था जिसे बाद में बदलकर एक्सेस कर दिया गया सन 1993 में  Mosiac नाम का नया ब्राउजर बनाया गया।

यह उस समय का पहला ऐसा वेब ब्राउज़र था जो टेक्स्ट को इमेज को एक साथ स्क्रीन पर दिखा सकता था इस नए फीचर की वजह से मोजाइक वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल दुनिया भर के लोगों ने करना शुरू कर दिया उसके अगले ही साल 1994 में मार्क एंड रसिक ने मोजाइक पर आधारित एक और वेब ब्राउज़र बनाया। 

जिसका नाम उन्होंने netscape नेविगेटर दिया इस वेब ब्राउज़र के लॉन्च होने के कुछ समय बाद यह दुनिया भर के 90% इंटरनेट यूजर्स के कंप्यूटर में पहुंच चुका था 1995 में मैट्रिक नेविगेटर ब्राउज़र को टक्कर देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्सप्लोरर नाम का ब्राउज़र लांच किया जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर मुफ्त में उपलब्ध करवाया गया था।

वेब ब्राउज़र के उदाहरण :

 मुफ्त में इंटरनेट यूजर्स को इंटरनेट एक्सप्लोरर इस्तेमाल करने की सुविधा मिल रही थी इसीलिए नेटस्कैप नेविगेटर को पैसे देकर इस्तेमाल करने के बाद भी किसी ने नहीं की इसीलिए इसी कारण से नेटस्कैप नेविगेटर वेब ब्राउजर का प्रचलन बंद हो गया इसके बाद धीरे-धीरे कई सारे बड़े-बड़े ब्राउज़र नए नए फीचर के साथ बनाए गए जैसे कि मोजिला,  गूगल क्रोम ,सफारी ,यूसी ब्राउजर इत्यादि।

इन वेब ब्राउजर ने लोगों के  डिवाइसों में खास जगह बना ली इन वेब ब्राउज़र में छोटे-छोटे अंतर हैं लेकिन सभी का काम एक है एक कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस में एक से ज्यादा वेब ब्राउज़र का इस्तेमाल किया जा सकता है।

वेब ब्राउज़र कैसे कार्य करता है :

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि वेब ब्राउज़र कैसे कार्य करता है ,वेब ब्राउज़र क्लाइंट सर्वर मॉडल पर कार्य करता है जब हम कोई जानकारी इंटरनेट पर सर्च करते हैं तब ब्राउज़र उस जानकारी को देखने के लिए वेबसाइट से कम्युनिकेट करता है जिसमें यूजर द्वारा पूछी गई जानकारी उपलब्ध होगी और उचित जानकारी यूजर के सामने प्रस्तुत करेगा। 

 उस लिस्ट में से user एक वेबसाइट को क्लिक करता है तो ब्राउज़र उस वेबसाइट के सर्वर पर कांटेक्ट कर रिक्वेस्ट फाइल को लाकर यूजर्स को दिखाता है user का डिवाइस क्लाइंट के रूप में काम करता है और web सर्वर के रूप में काम करती है जो जानकारी पहुंचाने में मदद करती है।

 वेब ब्राउजर इंटरनेट पर मौजूद सभी डाटा को और इंफॉर्मेशन को यूजर्स के कंप्यूटर स्क्रीन पर लाने का कार्य करता है यह सभी डाटा कंप्यूटर की भाषा में लिखी हुई रहती है जिसे एचटीएमएल कहते हैं एचटीएमएल ब्राउज़र आसानी से समझ लेता है और इस भाषा को ट्रांसलेट करता है और user द्वारा रिक्वेस्ट को स्क्रीन पर दिखाता है ताकि इंटरनेट यूजर आसानी से अपनी इंफॉर्मेशन पा सके।

इंटरनेट से डाटा को लाने के लिए वेब ब्राउज़र को विभिन्न प्रकार के नियमों का पालन करना होता है इन rules को प्रोटोकॉल कहा जाता है एचटीएमएल में एचटीटीपी यानी हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल का इस्तेमाल किया जाता है।

जो ब्राउज़र को सर्वर के साथ कम्युनिकेट करने में मदद करता है एचटीटीपी वेब सर्वर को बताता है   एचटीटीपी की मदद से क्लाइंट और सरवर एक दूसरे से जोड़ने की अनुमति मिलती है इंटरनेट पर मौजूद  वेब ब्राउज़र वेबसाइट को अपने पास रखते हैं वे सभी एचटीटीपी प्रोटोकोल को सपोर्ट करते हैं तभी जाकर ब्राउज़र उनसे जुड़ कर सारी जानकारी  आसानी से दे पाते हैं।

वेब ब्राउज़र क्या है उदाहरण से समझें 

जब कोई वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार पर www.facebook.com  सर्च करता है वेब ब्राउज़र डीएनएस सर्वर कम्युनिकेट करता है ,यहां पर दिए गए उदाहरण में डोमेन नेम facebook.com है डीएनएस सर्वर ने डोमेन नेम यानि facebook.com से जुड़े वेब ब्राउज़र का आईपी एड्रेस रहता है आईपी एड्रेस एक वेब सर्वर होता है जहां रिक्वेस्ट किए गए ip होते हैं।

डीएनएस सर्वर वेब ब्राउज़र को यह आईपी एड्रेस देता है उसके बाद ब्राउज़र यह एड्रेस web-server को भेज देता है और एड्रेस देने के बाद ब्राउज़र web-server के साथ जुड़ जाता है जहां फेसबुक का सारा डाटा मौजूद होता है वहां से ब्राउज़र रिक्वेस्ट करकेdata को निकालकर यूजर के स्क्रीन पर   जानकारी दिखा देता है और इस तरह एक यूजर को सारी जानकारी प्राप्त होती है।

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