शिक्षा और शिक्षक दोनों ही हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं इस दुनिया में लाने वाले आपके माता-पिता होते हैं लेकिन जीवन जीने के तरीके जीवन के उतार-चढ़ाव को सहने और उनसे आगे बढ़ना हमें गुरु ही सिखाते हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु शिष्य परंपरा चलती आ रही है। महाभारत काल में अर्जुन और द्रोणाचार्य हों या रामायण काल में राम और विश्वामित्र सभी में गुरु से का एक अटूट संबंध देखने को मिला है। गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के बारे में जाने
आप जीवन के चाहे जिस पडाव हम पहुंच जाएं गुरु की आवश्यकता हमेशा पड़ती है इस दुनिया में आने से लेकर यहां से जाने तक यानी मोक्ष प्राप्ति तक का रास्ता हमें गुरु ही बताते है इसी रिश्ते की महत्वाकांक्षा को बढ़ाने और युवाओं में अपने गुरुओं के प्रति सम्मान भावना उत्पन्न करने के लिए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आईये शिक्षक दिवस पर निबंध के बारे में विशेष प्रकाश डालते हैं।
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शिक्षक दिवस पर निबंध (essay on teachers Day 2021 in Hindi)
भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति तथा एक विद्वान शिक्षक थे जिन्होंने अपने जीवन के 40 से अधिक अमूल्य वर्षों को शिक्षण कार्य में समर्पित किया। विश्व शिक्षक दिवस यानी अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन भारत सहित विश्व के अन्य देशों में शिक्षक दिवस का आयोजन होता है और विभिन्न प्रकार के गतिविधियां कराई जाती हैं शिक्षकों के सम्मान हेतु। हालांकि चीन, अमेरिका जैसे देशों के अलग-अलग तिथि को शिक्षक दिवस मनाए जाते हैं लेकिन विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस पर निबंध (teachers day essay)
प्रस्तावना –
अगर हम यह कहें कि शिक्षा की हमारे जीवन का आधार होते हैं तो यह बिल्कुल भी गलत नहीं होगा क्योंकि वह शिक्षक ही होते हैं जो किसी बच्चे को कुम्हार की तरह ठोक पीटकर ,समझा-बुझाकर जीवन के विभिन्न पड़ावों से गुजरने के लिए तैयार करते हैं।माता-पिता के बाद अगर कोई आपका भला चाहने वाला होता है तो गुरु ही होता है जो खुद तो विभिन्न प्रकार की आर्थिक और अन्य परेशानियों से गुजरता है लेकिन वह आपको इन परेशानियों से निपटने के लिए तैयार करता है।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षकों के लिए कहते हैं कि शिक्षक वह नहीं जो छात्रों को जबरन पढ़ाये और उनके दिमाग में चीजों को जबरदस्ती ठूसे बल्कि शिक्षक तो वह है जो छात्र को इस प्रकार से तैयार करें कि वह भविष्य में आने वाली कठिनाइयों परेशानियों से डगमगाए नहीं और उसका डटकर सामना करें।
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस
भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का इस दिन जन्म हुआ था और डॉक्टर राधाकृष्णन जी ने ही अपने जन्मदिवस को अपने जन्म दिवस के रूप में ना मनाकर बल्कि पूरे भारत के शिक्षकों पर समर्पित कर दिया तब से लेकर आज तक भारत में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य गुरु और छात्र के रिश्ते को मजबूत करना होता है और इस दिन छात्र द्वारा अपने प्रशिक्षण संस्थान यानी स्कूल विद्यालय या कोचिंग में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें गुरु के सम्मान में शिक्षक दिवस पर भाषण और शिक्षक दिवस पर निबंध बोले जाते हैं तथा शिक्षकों को उनके अमूल्य योगदान के लिए सराहा भी जाता है।
शिक्षक दिवस पर तैयारियां
शिक्षक दिवस के दिन विद्यालयों में निबंध प्रतियोगिताएं भाषण प्रतियोगिताएं और सम्मान समारोह आयोजित किए जाते हैं इस दिन स्कूलों में अध्ययन और अध्यापन कार्य स्थगित रहते हैं यानी क्लासेज नहीं चलती हैं। इस दिन छात्र और शिक्षक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं इस दिन शिक्षकों के प्रति छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करके शिक्षक दिवस पर भाषण देकर गुरुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया जाता है। छात्र शिक्षक दिवस को मनाने के लिए कुछ दिन पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं इस दिन विद्यार्थी पूरे स्कूल को और अपनी कक्षाओं को सामूहिक तौर पर सजाते हैं और अपने शिक्षकों को छोटे-बड़े उपहार समर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
शिक्षक दिवस का महत्व
गुरु और शिष्य के इस अटूट संबंध को शास्त्रों में भी विशेष रूप से महत्व दिया गया है और उनकी महत्ता के बारे में इस लोगों के माध्यम से बताया गया है-
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा ।
गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
शिक्षक दिवस के दिन स्कूलों कॉलेजों में पूरे दिन उत्साह का माहौल लेता है दिन भर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और सम्मान समारोह चलते रहते हैं और इनमें हमारे भारत के राष्ट्रपति डॉक्टर राधाकृष्णन जी को याद किया जाता है और उनके शिक्षण के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के बारे में बच्चों को बताया जाता है।
गुरु शिष्य संबंध
गुरु शिष्य संबंध प्राचीन काल से ही चला रहा है इसका जितना भी व्याख्यान किया जाए उतना कम ही होगा।जैसा की सर्वविदित है कि अगर हमें जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना हो चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हूं या फिर किसी अन्य क्षेत्र में सब जगह हमें गुरु की आवश्यकता पड़ती है बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता।
गुरु और शिष्य के संबंध का व्याख्यान करते हुए रामायण में भी लिखा गया है-
बंदउ गुरु पद पदुम परागा सुरुचि सुबास सरस अनुरागा अमिय मूरिमय चूरन चारू, समन सकल भव रजु परिवारू।।
गुरु पितु मातु स्वामी हित बानी।
सुनि मन मुदित करिउभल जानी।।
उपसंघार
गुरु शिष्य का नाता जन्म जन्मांतर से पवित्र है और विश्वासपात्र भी लेकिन आजकल कुछ ऐसे कृत्य सामने आ रहे हैं जो इस रिश्ते की धारणा को कलंकित कर रहे हैं। सच पूछें तो आज के समय में शिक्षा एक प्रकार का व्यवसाय बन गया है। विद्यार्थियों से एक बड़े अमाउंट में पैसे वसूले जा रहे हैं और शिक्षा की आड़ में शिक्षकों द्वारा एक कारोबार किया जा रहा है अगर ऐसा ही चलता रहा तो गुरु शिष्य का संबंध बिगड़ता जाएगा और उसके फल स्वरुप विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच में दुर्व्यवहार की भावना पैदा होगी आज के इस लेख में शिक्षक दिवस पर निबंध के बारे में विस्तृत में बताया गया है जिसे पढ़कर आप शिक्षक दिवस से संबंधित पूरी जानकारी ले सकते हैं।
शिक्षक दिवस पर भाषण (डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में)
भारत के राष्ट्रपति और विद्वान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है भारत में शिक्षक दिवस का आरंभ 1962 से शुरू हुआ शिक्षक दिवस कब प्रारंभ होने की कहानी बड़ी रोमांचक है एक बार राधाकृष्णन के मित्रों और उनके विद्यार्थियों ने इनके जन्म दिवस को मनाने की बात कही तब उन्होंने पहले तो मना कर दिया बाद में कहा यदि आप लोग मनाना ही चाहते हैं तो हमारे जन्मदिन को 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में बनाएं और इस दिन शिक्षकों को सम्मानित करें और उनके प्रति धन्यवाद व्यक्त करें तब से लेकर आज तक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस मनाने का कारण विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच एक प्रेम भावना को पैदा करना है और उनके रिश्ते को महत्व देना है।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म राजस्थान के जयपुर में हुआ था उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन कार्य में लगाए और उसके बाद राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा जब यह राजनीति में आए उस समय भारत स्वतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था तब उन्होंने विभिन्न प्रकार के स्वतंत्रता आंदोलनों में जमकर हिस्सा लिया और भारत को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति बने इन्होंने अपनी शिक्षा में दर्शनशास्त्र में m.a. किया था।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने शिक्षक दिवस पर निबंध के बारे में जाना जिसमें हमने शिक्षक दिवस पर छोटे और बड़े दोनों निबंधों के बारे में चर्चा की। इसके अलावा हमने शिक्षक दिवस पर भाषण, शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है, 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है पर भी प्रकाश डाला।
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